GST में कारोबारी खुद बना सकेंगे बिल फॉर्मेट, 200 रुपए तक इनवॉयस से छूट: गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) 1 जुलाई से लागू होना है। इसके पहले सरकार ने जीएसटी में बिल बनाने कि रूल्स काफी आसान कर दिए हैं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, कारोबारी को 200 रुपए के ट्रांजैक्शन पर बिल बनाने की जरूरत नहीं होगी। जिन ट्रांजैक्शन पर बिल की जरूरत होगी, उनका इनवॉयस फॉर्मेट भी कारोबारी खुद बना सकेंगे।
देश में नई टैक्स पॉलिसी गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) जुलाई से लागू हो रही है। जीएसटी के तहत किन प्रोडक्ट्स पर कितना टैक्स लगेगा, ये तय हो चुका है। इससे जहां कुछ चीजें सस्ती हुई हैं, तो कुछ के दाम जीएसटी लागू होने पर बढ़ जाएंगे। एक देश-एक टैक्स नीति के तहत सरकार ने कंज्यूमर को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाने की कोशिश की है।
बिल को लेकर नई बातें क्या…
- सभी जीएसटी टैक्सपेयर्स (ट्रेडर्स और कारोबारी) अपना इनवॉयस फॉर्मेट अपने मुताबिक बना सकते हैं। इसमें कुछ फील्ड (सेक्शन) होना जरूरी है। अब बिल में वैट की जगह जीएसटी का ऑप्शन जरूरी होगा।गुड्स और सर्विस दोनों के लिए बिल तैयार करने का टाइम पीरियड जीएसटी में अलग-अलग है। गुड्स या प्रोडक्ट के लिए डिलिवरी से पहले का किसी भी डेट का बिल बना सकते हैं। लेकिन, सर्विस सप्लाई के केस में 30 दिन के अंदर इनवॉयस बनाना होगा।
GST में कारोबारी खुद बना सकेंगे बिल फॉर्मेट
200 रुपए तक का बिल जरूरी नहीं
- छोटे रिटेलर ज्यादा ट्रांजैक्शन करते हैं। उन्हें जीएसटी में 200 रुपए तक की ट्रांजैक्शन के लिए बिल बनाने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कस्टमर बिल मांगता है तब रिटेलर को बिल बनाना होगा।रिटेलर को हर एक ट्रांजैक्शन की डिटेल सरकार को देने की जरूरत नहीं होगी। उसे पूरे दिन के ट्रांजैक्शन का एक इनवॉयस बनाना होगा, जो ट्रेडर सरकार को जमा कराएगा।ट्रांसपोर्टेशन के समय नहीं रखनी होगी बिल की कॉपीट्रांसपोर्टर को इनवॉयस की कॉपी रखना जरूरी है। हालांकि, जीएसटीएन में ट्रेडर को इनवॉयस रेफरेंस नंबर दिया जाएगा। अगर टैक्सपेयर ये रेफरेंस नंबर जनरेट करता है तो ट्रांसपोर्टेशन के वक्त इनवॉयस बिल की कॉपी रखने की जरूरत नहीं होगी। इससे पेपर बिल खोने, गायब होने, फटने का खतरा नहीं होगा।
सरकार ने जीएसटी में कम किए कॉम्पलाएंस
जीएसटी में कॉम्पलाएंस कम करने के लिए सरकार ने 1.50 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए इनवॉयस पर गुड्स का एचएसएन कोड नहीं लिखना होगा।बैंकिंग, इंश्योरेंस और पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए टैक्सपेयर्स के लिए कस्टमर का एड्रेस और सीरियल नंबर इन्वाइस पर नहीं देना होगा।अगर ट्रांसपोर्ट होने वाले गुड्स की क्वांटिटी रिमूवल के समय नहीं पता है, तो उसे गुड्स के डिलीवरी चलान से हटा सकते हैं। इसका इनवॉयस डिलीवरी के बाद जारी किया जा सकता है।नॉन टैक्सेबल सप्लाई के लिए जिस पर वैट इनवॉयस बना हुआ है, उस पर अलग से बिल बनाने की जरूरत नहीं है।
GST Invoice Format, Download Invoice Format Under GST RegimeGST Invoice Rules 2017, GST Tax Invoice, Download GST Invoice Format
कारोबारी को साल मे फाइल करनी होगी 37 रिटर्न
जीएसटी के तहत टैक्स कॉम्पलायंस टाइम बाउंड और हर महीने होने वाला है। रजिस्टर डीलर को हर महीने 3 और सालाना रिटर्न फाइल करनी है। इसका मतलब ये हुआ कि टैक्सपेयर को हर साल 37 रिटर्न फाइल करनी है।
- GST में छोटे कारोबारियों को भरने होंगे 37 रिटर्न, GST Return in Hindi 2017
रखना होगी जीएसटी डिटेल
इन रिटर्न को फाइल करने के लिए टैक्सपेयर्स को डाटाबेस तैयार करना पड़ेगा। उन्हें गुड्स, सर्विस, एडरेस और कस्टमर का जीएसटीएन का हारमनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेटर (एचएसएन कोड) का डाटा रखना होगा। ये सभी जीएसटी इन्वाइस और रिटर्न पर होना जरूरी होगा। टैक्समैन जीएसटी मॉड्यूल को लेकर सर्विस दे रहा है। ताकि 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने पर जीएसटी इन्वाइस जारी की जा सके।
Recommended Articles –
Advertisement
- GST ScopeGST ReturnGST FormsGST RateGST RegistrationWhat is GST?GST Invoice FormatGST Composition SchemeHSN CodeGST LoginGST RulesGST StatusTrack GST ARNTime of Supply