रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं पर जीएसटी की दरें कम हो गई है: जानें पूरी सूची. गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स (जीएसटी) लागू होने के बाद भारतीय अर्थ व्‍यवस्‍था पूरी तरह से बदल जाएगी। जीएसटी को देश में इनडायरेक्‍ट टैक्‍स का इतिहास बदलने के लिए याद किया जाएगा। इतिहास में जब भी बड़े बदलाव हुए हैं तो कुछ उसके साथ खड़े होते हैं तो कुछ विरोध में होते हैं। पहले ही दिन अगर परफेक्‍शन की उम्‍मीद रहेगी तो यह ठीक नहीं है। ऐसे बड़े बदलाव को मैच्‍योर होने में कुछ समय लेते हैं। ऐसे में इसको परफेक्‍ट बनाने में  कारोबारी, ब्‍योरोक्रेसी और लेजिस्लेचर का सहयोग जरूरी रहेगा।

जीएसटी का सारा सिस्‍टम कंम्‍प्‍यूटराज्‍ड है। वहीं छोटे व्‍यापारियों का कंप्यूटर से दूर-दूर तक वास्‍ता नहीं है और उनके पास पूरी जानकारी नहीं होती है। छोटे कारोबारियों के पास अकाउंटेंट भी नहीं होते हैं। वह खुद कैश मैनेज करते हैं। ऐसे में अगर वह अकाउंटेंट रखते भी हैं तो स्‍वाभाविक है कि उनका खर्च बढ़ेगा। छोटे व्‍यापारियों पर बेवजह का बोझ पड़ेगा तो प्रोडक्‍शन पर भी असर पड़ सकता है। अगर प्रोडक्‍शन कम होता है तो लॉन्‍ग टर्म में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज यूथ रोजगार को लेकर सड़कों पर है।  हालांकि बड़े व्‍यापारियों के लिए फायदेमंद होगा, क्‍योंकि बड़ी कंपनियां अलग–अलग शहरों से सामान खरीदती हैं लेकिन छोटे व्‍यापारी लोकल स्‍तर पर ही खरीददारी करते हैं।

रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं पर जीएसटी की दरें कम हो गई है: जानें पूरी सूची

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